गुरूजी…..निश्चित ही ये बात सत्य है कि हम लोग अपनी गलती मानने की बजाय अपने आप को फटाफट गलत मान लेते हैं…..और बहुत कुछ ये हमारे मन मस्तिष्क मैं बार बार कूट कूट कर जो भरा गया हैं कि हम कहीं न कहीं उन से कमतर हैं…..हमें अपने आप को पहचानने की देर है….हम सब से आगे होंगे….वंदेमातरम्